चंडीगढ़ हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर प्रशासक ने पीछे खींचे कदम; पुरोहित बोले- जो जमीन बची है, वह पहले अन्य योजनाओं के लिये उपयोग होगी
Chandigarh Administrator Banwari Lal Purohit on Housing Projects
चंडीगढ़ (साजन शर्मा): पंजाब के राज्यपाल और यूटी, चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर फिलहाल कदम पीछे खींच लिये हैं। शहर में फिलहाल जो जमीन बची है, उसे प्राथमिकता के आधार पर अन्य प्रोजेक्ट्स के लिये उपयोग में लाया जाएगा। हालांकि उन्होंने दोहराया कि हाउसिंग प्रोजेक्ट को लेकर इन प्रोजेक्ट्स को लैंड देने के बाद आगे बढ़ा जा सकता है। पुरोहित ने कहा कि उनका सपना है कि चंडीगढ़ मेडिकल एजूकेशन और एजूकेशन हब के तौर पर विकसित हो। इसके लिये चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से प्रयास किये जा रहे हैं। पुरोहित बुधवार को यूटी सेक्रेट्रियेट में मीडिया से रुबरू थे।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ 5 लाख की आबादी के लिये शहर बसाया गया था लेकिन अब यहां की जनसंख्या 14 लाख के आसपास हो चुकी है लिहाजा इसके इनफ्रास्ट्रक्चर पर भारी बोझ पड़ रहा है। इतनी ही फ्लोटिंग पॉपुलेशन यहां आती-जाती रहती है। संसाधन सीमित हैं लिहाजा समस्याएं भी हो रही हैं। इन्हें दूर करने की भरसक कोशिश की जा रही है लेकिन इसमें कई दिक्कतें भी आ रही हैं। शहर में विकास बंद हो गया है, ऐसा बिलकुल नहीं है। प्रशासन की पूरी टीम बड़े जी जान से शहर के विकास को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जो जमीन बची हुई है उसे हाउसिंग से इत्तर दूसरे प्रोजेक्टों के लिये भी उपयोग करना है। केवल हाउसिंग से शहर को कंजस्टिड नहीं कर देना। हमें देखना होगा कि पहली प्राथमिकता किसकी है। हाईकोर्ट और केंद्र सरकार के अलावा पंजाब व हरियाणा के दफ्तरों के लिए भी जमीन देनी है।
आईटी पार्क की हाउसिंग परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर एनजीटी की रोक लग चुकी है जबकि सेक्टर 53 के सीएचबी के हाउसिंग प्रोजेक्ट को होल्ड पर रखा गया है। प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि चंडीगढ़ के पास अब सीमित जगह बची है लेकिन बावजूद इसके नर्सिंग होम्स के लिये साइटें दी जा रही है। आईआईटी रोपड़ के एक्सटेंशन सेंटर और बीएसएफ के रीजनल ऑफिस के लिये जगह दी जा रही है। लद्दाख भवन के लिए जगह दी गई है। इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट और नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी के लिए भी जगह दी गई है।
ट्रैफिक की समस्या एकदम समाप्त नहीं हो सकती
ट्रैफिक की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि इसे एकदम से खत्म नहीं किया जा सकता। मेट्रो जैसी परियोजना चलाने की दिशा में काम चल रहा है। बसों का ग्रिड सिस्टम तैयार करने की कोशिश है। लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत किया जा रहा है। नई बसें खरीदी जा रही हैं। जल्द ही 1100 टीचरों की भर्ती की जा रही है।
बजट में मिली 75 प्रतिशत राशि खर्च कर चुका प्रशासन
चंडीगढ़ को वर्ष 2023-24 के बजट में 6,087 करोड़ रुपये मिले थे जिसमें से विकास के कामों पर अभी तक 4,625 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। हासिल बजट में से 75 प्रतिशत की राशि चंडीगढ़ प्रशासन विकास पर खर्च कर चुका है। चंडीगढ़ में हर क्षेत्र में विकास हुआ है। चाहे मामला 10 नये बेहतरीन स्कूल बनाने का हो या सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस इनफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चे का, या स्वास्थ्य का क्षेत्र हो या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का। प्रशासन हर क्षेत्र में समुचित निवेश कर रहा है।
दस घोषित स्कूलों में से चार तैयार
दस बेहतरीन स्कूल तैयार करने की जो घोषणा की थी, उसमें से 4 तैयार हो चुके हैं, 2 को बनाये जाने की प्रक्रिया चालू है जबकि 3 अगले साल तैयार कर दिये जाएंगे। इसके लिये जमीन देख ली गई है। शिक्षा क्षेत्र के लिये यह बड़ी बात होगी। कुल बजट में से पुलिस के लिये 12.21 प्रतिशत की राशि, एजूकेशन के लिये 18.11 प्रतिशत की रकम, हाउसिंग एवं अर्बन डेवलपमेंट में 13.88 प्रतिशत, एनर्जी के क्षेत्र में 15.83 प्रतिशत, हेल्थ में 10.87 प्रतिशत की राशि खर्च करने की योजना है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करने की दिशा में काम चल रहा है। बसों का बेहतर नेटवर्क और मेट्रो परियोजना शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ चुके हैं। आने वाले समय में इनमें सुधार होगा।
सुरक्षा की दृष्टि से कई काम हुए
पुलिस के ऊपर खर्च की गई रकम में साइबर सिक्योरटी सेंटर शुरू हुआ, 3 एंटी टेरर व्हीकल कवच खरीदे गए। 16 समावेश सेंटर बने। 18 ऑनलाइन सर्विसेज शुरू हुई। 112 नये पुलिस व्हीकल खरीदे गए। वॉटर कैनन, एंटी रायट कमांड सेंटर, नया पासपोर्ट ऐप, फोरेंसिक ऐप, दो-तीन पुलिस हाउसिंग प्रोजेक्ट व स्पोट्र्स कांप्लेक्स बने। अर्बन इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। मौली जागरां में 10.50 करोड़ की लागत से कम्यूनिटी सेंटर, स्कूल, चंडीगढ़ सेक्रेट्रियेट पर 80 करोड़, स्मार्ट ग्रिड प्रोजेक्ट जिसमें 24600 कंज्यूमर हैं पर 36.50 करोड़, किशनगढ़ एसटीपी पर 20 करोड़, कम्यूनिटी सेंटर पर 20 करोड़, टेक्नीकल एजूकेशन के क्षेत्र में बड़ी राशि, सेक्टर 42 में हॉस्टल ब्लॉक पर 23 करोड़, कुरुक्षेत्र हॉस्टल पर 38 करोड़, 19 हेल्थ सेंटर जिसमें से 14 पूरे हो चुके हैं पर अच्छी खासी राशि खर्च की जा रही है।